मृत्यु - एक महान शिक्षक
हम सब कल मरने वाले हैं। और अगर यह बात हमें आज ही बता दी जाए तो क्या हम उसी ढंग से जिंदगी जिएंगे जिस ढंग से हम अपनी जिंदगी जीते आ रहे हैं। वही नफरत, वही जलन, वही दुख, वही दुश्मनी, वही गुस्सा, वही पैसों की भूख, वही छोटे बड़े झगड़े। क्योंकि अगर हमें बता ही दिया जाए कि आज हमारा आखिरी दिन है। तो मुझे लगता है ये सब चीजें बहुत छोटी लगने लगेंगी। ये सब व्यर्थ की चीजें पॉइंटलेस लगने लगेंगी हमें। पर समाज ने हमारी ऐसी प्रोग्रामिंग की है ना सोसाइटी ने हमें ऐसा कंडीशन किया है कि हम में अंदर तक यह बात डाल दी गई है कि मौत से डरना है। मौत को अंधेरा अंतिम और डरावना मानना है। पर लेकिन मौत हमारी दुश्मन है ही नहीं। मौत तो बहुत खूबसूरत चीज है। मौत तो हमारी सबसे बड़ी गुरु है जो हमें सच में जीने की, आजादी से जीने की कला सिखाती है। आजादी से जीना कैसे जीना है उसका सलीका सिखाती है। हमने इसको ऐसा विषय बना दिया है जिससे हम हर कीमत पर बचते हैं। हम अवॉइड करते हैं इस पर बात करना। हमने ना मौत को हस्पताल के पर्दों में और अंतिम संस्कारों की रस्मों के पीछे कैद कर दिया है। जब भी इसका जिक्र आता है हम बात बदल देते हैं। हम इग्नोर करते हैं। हम अवॉइड कर देते हैं। अगर हम खुलकर इस पर बात करें भी तो लोग कहेंगे कि नेगेटिव मत बोलो। जिंदगी जीने के लिए है। तुम बहुत नेगेटिव हो। पर मुझे लगता है कि इससे बचते-बचते हम उस सच्चाई से दूर हो जाते हैं जो हमें सच में जीना सिखा सकती है। और अनजाने में ना हम फिर इच्छाओं के कैदी बन जाते हैं। हम दौड़ते हैं चीजों के पीछे, नाम के पीछे, इज्जत के पीछे लेकिन कभी पहुंचते नहीं हैं। हम एक सफरिंग के लूप में फंस जाते हैं जो समाज ने हमारे ऊपर थोपी हैं। जरा सोचो अगर हम हर दिन मौत को याद रखें। एक एक डर के रूप में नहीं एक टाइमिंग क्लॉक के एक टाइमिंग बम के रूप में नहीं बल्कि एक दिल में जलती हुई सच्चाई की लॉ के रूप में फिर हम देखेंगे कि हर चीज कितनी अस्थाई है कितनी नाजुक कितनी टेंपरेरी है हम समझेंगे कि गुस्सा झगड़े छोटी-छोटी नाराजगियां बस गुजरते बादल जैसी हैं। हम जानेंगे कि पैसा, इमेज और स्टेटस जैसी चीजें जिन्हें समाज ने बहुत महत्व दिया है जिसने जिन्हें हमें लगता है कि अगर हम ये कर लें, ये पा लें, ये पद पा लें ये हम बहुत ऊपर उठ जाएंगे। पर ये सब बहुत छोटी चीजें हैं। ये सिर्फ मायाजल इल्लुजन है। जिंदगी को हमें ऐसे समझना चाहिए कि जिंदगी एक खूबसूरत होटल में थोड़े समय का कम समय का ठहराव है। हम आते हैं बिस्तर का आनंद लेते हैं, नजारे देखते हैं, खाना खाते हैं। लेकिन जानते हैं कि हमेशा यहां नहीं रह सकते। जब चेक आउट का समय आता है, सब कुछ पीछे छोड़ना पड़ता है। मौत बस वही पल है जब हम चाबियां वापस कर देते हैं। कमरे का फर्नीचर, सजावट और उनसे जुड़ी यादें सब वहीं रह जाती हैं। ठीक वैसे ही इस जीवन में हर चीज, हर सामान, हर पद, हर रिश्ता उधार है। हमारा अपना नहीं। और यह सच्चाई दुख देने वाली है ही नहीं। यह तो बहुत खूबसूरत है। क्योंकि जब हमें पता चलता है कि समय सीमित है, बहुत कम समय है हमारे पास। मौत दीवार पर खड़ी है। मौत सामने है। फिर हम उन चीजों पर वक्त बर्बाद नहीं करते जिनका कोई मतलब नहीं है। हम हर दिन उन डिस्ट्रैक्शन से उन चमकदार चीजों से दूर रहते हैं। हम उनके पीछे भागना छोड़ देते हैं। हम बिना डर के प्यार करना शुरू कर देते हैं। हम वह सब कह देते हैं। वह सच बोल देते हैं जो हमने अपने दिल में दबा रखा था। हम माफ कर देते हैं सामने वाले को। इसलिए नहीं कि वह माफी का हकदार है। बस इसीलिए कि हम पीस के, हम शांति के हकदार हैं। हम फिर सही समय का भी इंतजार करना छोड़ देते हैं। क्योंकि हम समझ जाते हैं कि यही पल हमारा है जो बीत रहा है, जो प्रेजेंट मोमेंट है ना कि वो कल जो जा चुका है ना ही वो आने वाला कल जो अभी मिला भी नहीं है। बस यह सांस, यह धड़कन, यह कदम जो हम अभी उठा रहे हैं। जब हम इस जागरूकता के साथ जीते हैं ना, इसी अवेयरनेस के साथ जीते हैं। तो जिंदगी गहरी, समृद्ध और खूबसूरत बन जाती है। हम स्वर्ग में जीने के काबिल हो जाते हैं। हम छोटी-छोटी चीजों में खुशी महसूस करते हैं। हम वहां भी सुंदरता देखते हैं जहां हमने कभी कुछ भी नहीं देखा। हम हर दिन ऐसे जीते हैं जैसे वही हमारा आज पहला और आखिरी दिन है। तो आज हम इसी अपनी अस्थाई प्रकृति को याद रखें। यही हमारी इमपरमानेंस इन दिस वर्ल्ड। हमें याद रखना है कि हम बस यहां थोड़े खूबसूरत समय के लिए हैं। बहुत कम है पर वो बहुत मूल्यवान है। हम बस वो लहरें हैं जो उठती हैं और बह जाती हैं। और अगर यह बात हमारे दिल में उतर ही गई तो हम ऐसे जिएंगे कि जैसे हम कभी नहीं जिए। हम वो खुशी आनंद के साथ जिएंगे। और अगर यह बात आप समझ चुके हैं तो आप नीचे कमेंट जरूर करें। आई एम नाउ अवेक। शुक्रिया।.
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